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The working day is observed with excellent reverence, as followers stop by temples, offer prayers, and take part in communal worship functions like darshans and jagratas.
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
The essence of these rituals lies inside the purity of intention plus the depth of devotion. It isn't simply the external actions but the internal surrender and prayer that invoke the divine presence of Tripura Sundari.
Following 11 rosaries on the very first working day of commencing with the Mantra, you may convey down the chanting to one rosary daily and chant 11 rosaries to the eleventh day, on the last day of your chanting.
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता
संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
Understanding the importance of such classifications assists devotees to select the appropriate mantras check here for their private spiritual journey, making certain that their procedures are in harmony with their aspirations along with the divine will.